नज़र अंदाज़ क्यों करते हो?
शरीर कमजोर ,चेहरा बेकार
तो क्या मैं नाक़ाबिल हूं ?
याद रखो प्यार का कोई शरीर
कोई चेहरा नहीं होता,
प्यार तो अनुभूति है
जिसे तुम आत्मसात नहीं कर सके...
जब तक शरीर ठीक था
चेहरा सुंदर था
क्या प्यार तभी तक?
यह प्यार नहीं तृष्णा है
तुम्हारे शरीर की
जो मेरे शरीर तक सीमित थी...
शरीर की भूख को प्यार शांत कर सकता है
लेकिन प्यार की भूख को शरीर नहीं,
तुम्हें तलाश शरीर की है
जो प्यार नहीं हो सकता ,
शरीर तो बाजार में भी बिकता है,
प्यार तो पवित्र होता है और
पवित्रता का मोल-भाव नहीं होता...
तुम ऐसा कब तक करोगे ?
जब तक तुम्हारा शरीर है,
शरीर मिट्टी है और मिट्टी को दुनिया रौंदती है,
केवल पवित्र मिट्टी का ही तिलक
माथे पर लगाया जाता है
जो केवल प्रयाग में मिलती है...
द्वारा - दिलीप मिश्रा मातपुर,खंडवा (म. प्र.)
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इस जन्म दिन पर प्रिय छात्र (B. E.)रितेश मातपुर का सबसे बड़ा उपहार 25/10/2018
इंदौर में 25/10/2008 से दोस्तों ने जन्म दिन मनाने की शुरुआत की थी...मेरे मातपुर के छात्र भी अपने तरीके से जन्म दिन मानते थे उन्हीं बच्चों से प्रेरित होकर बच्चों के साथ मिलकर मैं स्वयं भी स्कूल के बच्चों का जन्म दिन मानता था। आज जब मॉडल स्कूल गुड़ी में बच्चों ने अपने तरीके से जन्म दिन मनाया तो हृदय में एक अजीब सी हलचल हुई मानो मैं दोस्तों और मातपुर के छात्रों की यादों के सागर में डूब गया। हाँ मैं डूब जाता हूँ अपने बीते हुए कल के सागर में जहां मेरे दोस्त और छात्र मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं, यादों को अभिव्यक्त करना कठिन है बस दुआ कर रहा हूँ सदा खुश रहो। धन्यवाद मेरे प्रिय विद्यार्थियों धन्यवाद...🙏🙏🙏💐💐💐💐