शनिवार, 13 मई 2017

अम्मा तुम कितनी उदार हो ...

  



  ममता की मूरत,
 प्रेम की अभिव्यक्ति,
 संसार की शक्ति,
स्वयं तुम संसार हो,
अम्मा तुम कितनी उदार हो...


Happy Mother's Day 2021

द्वारा - दिलीप मिश्रा



 अम्मा तुम कितनी उदार हो....अम्मा तुम इतना क्यों सहेज कर सब चीजें रखती हो ? कभी अमरुद के पेड़ में फल लगतें हैं तो तुम उन्हें तोड़ती नहीं हो ,अगर कोई पूंछता है की ये किसके लिए सहेज कर रखी हो तो तुम्हारी आँखों में नीर की झिरन  सी होने लगती है और फफकते हुए लड़खड़ाते स्वरों में कहती हो मैं अपने बहू -बेटों के लिए सहेज कर राखी हूँ ...वो आएंगे शहर से गाँव...इसी  तरह अम्मा चने को पीसकर बेसन बनती है,दूध से दही और दही से छांछ बनाती है ,क्योंकि उसके बड़े बेटे को कढ़ी बहुत पसंद है ,अषाढ़  के महीने में आँगन में मक्का लगाती है क्योंकि उसके मझिले बेटे को मक्का बहुत पसंद है , दिन में चावल -दाल बनाती है और चूल्हे की धीमी आंच में रात तक के लिए रख देती है सोचती है कहीं मेरा छोटा बेटा न आ जाये क्योंकि उसके छोटे बेटे को चावल-दाल बहुत पसंद है ..

 घर में दो -तीन गुदड़ियाँ थीं अम्मा ने उसके बदले में घी रखने के लिए बरनी लेली ,स्वयं दूध पीती नहीं उसका घी बनती है बहू - बेटों के लिए ..अम्मा तुम बहुत कमजोर हो गई हो कुछ खाया -पिया करो थक जाती हो फिर भी घर आंगन को पोतती  रहती हो ,झाड़ू लगाती रहती हो ,वर्तन साफ करती रहती हो ,हाँथ में चार्म रोग है फिर  भी गोबर पथ कर कंडे बनती रहती हो और दवा करवाने का जिक्र भी नहीं करती हो...दिन भर की भाग -दौड़  में थक कर रात में सोने जाती हो ,थोड़ी संतुष्ट सी लगती हो लेकिन नीद  नहीं आती थोड़ी झपकी लगी भी तो खपरैल घर में चूहे -बिल्ली आवाज करते हैं जैसे ही आवाज सुनती हो तो उठ बैठती हो और सोचती हो कहीं मेरे बेटे दरवाजा तो नहीं खटखटा रहे हैं ...इतनी आश लगा के क्यों बैठी हो अम्मा ? आज-कल के बहु -बेटों को तो पता ही नहीं की उनके लिए तुम जन्म से ही सहेजती चली आ रही हो...अम्मा तुझे तेरे बहू -बेटे भूल गए क्योंकि वे गाँव के कीचड़ से शहर की साफ -सुथरी गलियों में रहने लगे हैं... तू कहाँ देहाती अम्मा ,वो तो शहरी कालेजी कहलाते हैं..अम्मा तुम अमरुद ,बेसन ,मक्का ,और घी सहेज कर रखी हो ,आज-कल के बहू -बेटों को ये पसंद नहीं है ,आज-कल के बहू- बेटों को तो सिगरेट,शराब ,धोखा,झूंठ और बदचलनी बहुत पसंद है ये इनका रोज नास्ता करते हैं, अंग्रजी में ये लोग इसे बब्रेकफास्ट कहते हैं ...अम्मा तू ये सब सहेजना छोड़ दे और राम नाम का सुमिरन कर इस मोह - माया में मत पड़ आज तू ये सब जिसके लिए सहेज रही है वो तेरे जाने के बाद तेरा सारा सामान गन्दी नालियों में फेंक देंगे सिवाय सोने की मोहरों के और कहेंगे यहाँ गंदगी फैला कर चली गई ...ये सब जानते हुए भी तेरी आत्मा बहू - बेटों से मिलने   के लिए ललकती है...अम्मा ये तेरी उदारता नहीं तो और क्या है ? अम्मा मैं व्यग्र असंख्य वार तुझे नमन करता हूँ |
                                                                          द्वारा-दिलीप मिश्रा मातपुर
                                                                  E-mail-lekhaksandesh@gmail.com

निमाड़ की धरती को समर्पित कविता - एक प्रयास












दादा धूनी वाले की धरा में काम करता हूँ
सिंगाजी के विचारों को सबके नाम करता हूँ
ओमकार जी को ह्रदय से स्मरण करता हूँ ,
   निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |







 




नर्मदा की धारा  बहती कहती आज आप से
बच सको तो बचलो ढोंग और घोर पाप से
  ढोंग पाप से बचा रहूं  भजन करता हूँ ,
  निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |










माखन दा की कर्म भूमि है निमाड़ ये अपना
दादा रामनारायण का यहाँ सच हुआ  सपना
सपूतों के चरण धूल का चन्दन करता हूँ ,
  निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |


निमाड़ के किशोर दा सुर - ताल दे गए
दुनियां के लिए गानों की मिसाल दे गए
उनके गानों से मन को मैं मगन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |








 



निमाड़ का गणगौर अपना स्वाभिमान है
  सभ्यता संस्कारों की पहचान है
ये संस्कृति बनी रहे जतन करता हूँ ,
 निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |






 



दुनियां में कोई दूसरा हनुवंतिया नहीं है
पुनासा डेम भी नहीं है कालमुखी भी नहीं है
कपास मिर्ची मक्का खूब हो प्रयत्न करता हूँ ,
   निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |












निमाड़ का एक ग्राम नाम कालमुखी है 
जनता  यहाँ की दूसरों के सुख से सुखी है 
ये सुख सदा बना रहे हवन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |












दुनियां के लिए मातपुर छोटा सा गाँव है 
मेरे लिए तो मातपुर माता की छाँव  है 
इस छाँव  में ज्ञान का सृजन  करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |


मतभेद होगा लेकिन मन भेद नहीं होगा
इस प्रेम के गढ़े में कोई छेंद  नहीं होगा
नित प्रेम निकले ह्रदय में मंथन करता हूँ ,
 निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |












लालच में कभी झूंठ का तुम साथ न देना 
  है सत्य अकेला तो उसे लूट न लेना 
संकल्प लेलो सत्य का अनुशरण करता हूँ ,
  निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |









 




सौभाग्य है मेरा की बना राष्ट्र निर्माता 
सब पर कृपा करेगा वो भाग्य विधाता 
मद लोभ काम क्रोध का दमन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ | 












इंसान के हृदय में भगवान् बसता है 
लेना है जिसे लेलो ये बहुत सस्ता है 
हर ह्रदय को ह्रदय से वंदन करता हूँ
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |



                                                         द्वारा -           दिलीप मिश्रा मातपुर 
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बुधवार, 10 मई 2017

परीक्षा परिणाम२०१६ -१७ की घोषणा और ग्राम उदय से भारत उदय के कुछ चित्र

दिनांक २ ८ -०  ४ -२०१७ 
को कक्षा ६वीं ,७वीं एवं ८वीं का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया तथा छात्र -छात्राओं  को प्रगति पत्रक प्रदान कर प्रोत्साहित  किया गया तथा ग्रीष्म अवकाश की अवधि में गणित और अंग्रेजी विषय पर अधिक ध्यान केंद्रित करने को कहा  गया क्योंकि यही दो मुख्य विषय हैं जिनसे बच्चे डरते हैं..... तो विषय से जुड़ना पड़ेगा और यही मेरा प्रयास भी है कि  आप सब बच्चे  विषय से जुड़ें और आगे बढ़ें ... 


बच्चे को जिस रंग में ढालो ढल ही जाता है ,यह निर्भर आप पर है कि  आप बच्चे को किस रंग में ढालना चाहते हैं

 

परीक्षा परिणाम सत्र २०१६-१७  की घोषणा के अवसर पर  मेरे प्यारे छात्र -छात्रा और मैं ...




ग्राम उदय से भारत उदय की द्वितीय दिवस की बैठक  ग्राम पंचायत मातपुर  में ...


ग्राम उदय से भारत उदय कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि क्रांति  रथ के आगमन पर .... ग्राम मातपुर में ...



ग्राम उदय से भारत उदय कार्यक्रम के अंतर्गत नोडल अधिकारी के रूप में ग्राम पंचायत मातपुर के आंगनवाड़ी कर्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता से चर्चा करते हुए
                                                               



विधायक जी से मिलकर बच्चों को हुई बेहद ख़ुशी

🇮🇳।।विधायक जी से मिलकर छात्र/   छात्राओं को हुई बेहद ख़ुशी ।।🇮🇳 आज दिनांक 20/02/2018 को शासकीय माध्यमिक शाला मातपुर में खंडवा विधानसभ...

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