मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

सच - सच बताना



20/04/2021 

सच - सच बताना-🙇

वो कच्चे घर में रहे या पक्के घर में 

 या फिर द्वार में 

हवा तो आती होगी ,

सच- सच बताना  उसे मेरी याद तो आती होगी...


 पानी लेने जाती होगी  ,घर में झाड़ू लगाती होगी

 बर्तन धोना ,खेत में जाना

 कभी- कभी दुखी हो जाती होगी, 

सच -सच बताना उसे मेरी याद तो आती होगी...


 किताबों के पन्ने पलटती होगी 

लिखना कुछ है कुछ और लिखती होगी

मेरे हस्ताक्षर तो बनाती होगी,

सच- सच बताना उसे मेरी याद तो आती होगी...


 चाह कर भी  बात नहीं कर पाती

सबको पता चल जाएगा घबराती होगी

मेरी बातें सब से छुपाती होगी,

सच- सच बताना उसे मेरी याद तो आती होगी...


कभी गुस्सा करती होगी, चिल्लाती होगी

घर में झगड़ना , कभी रोती होगी

कभी चुप रह जाती होगी

और कभी मुस्कुराना जोर से हंसती होगी,

सच - सच बताना उसे मेरी याद तो आती होगी...


द्वारा- दिलीप मिश्रा 


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जिंदगी से जब कभी मैं हारने लगता हूँ, 

सच कहूं घर,गांव को निहारने लगता हूँ... 

द्वारा - दिलीप मिश्रा 22/04/2021

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तड़पती ज़िन्दगी कहती रही

 थोड़ा और जीने दो,

मगर अफ़सोस शैतानों ने बोला 

खून पीने दो...


इसी उलझन में कोई काल आकर

ले गया उसको,

 बताओ भूल पाओगे 

जला कर आये हो जिसको...


बचालो उनको ऐ मालिक

जिनकी अभी श्वास चलती है,

पड़ी है राख श्मशानों में

छाती अब भी जलती है...


द्वारा - दिलीप मिश्रा😢 22/04/2021

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥




हे ईश्वर दोष किसे मैं दूँ ?

ये काल कौन सा आया है?

हर आंख में आंसू है,

हर घर मे मातम छाया है, 

 

कितनो के सपने टूट गए, 

अपनो के अपने छूट गए, 

यह घोर त्रासदी का मंज़र 

किसने दुनियां को दिखाया है? 


हे ईश्वर दोष किसे मैं दूँ ?

ये काल कौन सा आया है? 

हर आंख में आंसू है,

हर घर में मातम छाया है...😢



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             06/05/2021

        खंडहर हो चुकी इमारत में      

              रहने कौन आएगा?              

           बिखर जाओगे ,सम्भलो,          

                  कहने 

              कौन आएगा?

                                  

                   और                                         


       दीवारों में गहरी दरारें ,

         दरारें ही दरारें हैं,

     दरारों को मिट्टी, मरहम से

              भरने

        कौन  आएगा?      


            और  


    उम्मीद चातक को मरने नहीं देती,

         अंधेरा ही अंधेरा है,

      अंधेरे में दिया लेकर उजाला

               करने 

          कौन आएगा?


द्वारा- दिलीप मिश्रा


ऐसा कौन है? जो अकेले में अपनी सेल्फी न खींचता हो😂😎 सच - सच बताना😀🤗😎सब खींचते हैं ,मैं क्यों पीछे रहूं 😛





यार मिश्रा जी कम से कम बनियान पहनी फोटो न अपलोड करते थोड़ा बड़े होने  का लिहाज करते😯 sorry भाई ! देखो जी किसी के कपड़े नहीं देखे जाते उसका मन देखा जाता है और जब 55 साल के सलमान की छाती देख सकते हो तो मेरी बनियान तो लालू के कुर्ते से कम  है क्या😜



इंसान बदलने से परिस्थिति नहीं बदलती वरना कितनो की परिस्थितयां बदल जातीं  हाँ ये जरूर है कि चेहरे बदल जाते हैं...


न जमाने के लिए रोया न अपने लिए रोया

     जब भी रोया तेरे लिए रोया...

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