शिक्षक दिवस के अवसर परमैं कविता तुम्हें सुनाता हूँ,
तुम हाँथ पकड़ कर चलते होकहते हो खुद मैं चलता हूँ,तुम खुद ही खुद को छलते होकहते औरों को छलता हूँ,
यदि बात मेरी मानो कहदूँइस दुनियांदारी को छोड़ो,सत प्रेम सभी को प्यारा हैसत प्रेम से नाता तुम जोड़ो,
ये जोड़ ना टूटे तुमको ऐसीप्रीति आज सिखलाता हूँ,शिक्षक दिवस के अवसर परमैं कविता तुम्हें सुनाता हूँ।
जिस राह चला चलता ही गयाचलना ही जीवन मंथन है,कुछ फूल मिले काँटे भी मिलेकरता मेरा उर वंदन है,
मेरे जीने मरने का मतलबकेवल एक परिवर्तन है,कोई पत्थर,कोई पानीकोई माथे का चंदन है,
यह रूप बदलता रूह नहींकभी हंसता हूँ -कभी रोता हूँ,शिक्षक दिवस के अवसर परमैं कविता तुम्हें सुनाता हूँ।
कुछ लोग यहां कहते रहतेतुम पागल जैसे दिखते हो,है समझ नहीं कविता की फिर भीकविताएं तुम लिखते हो,
अधिकार मेरा पढ़ना - लिखनाअधिकार से ही मैं लिखता हूँ,कोई धन दौलत में बिकता हैमैं प्रेम बदौलत बिकता हूँ,
ये प्रेम का रस घर- घर पहुंचेमैं प्रेम का रस बरसाता हूँ,शिक्षक दिवस के अवसर परमैं कविता तुम्हें सुनाता हूँ।
यदि देखें धरती घूम रही हैघूम रहा है जग सारा,कोई दुश्मन बन बैठा हैकोई बन बैठा उर प्यारा,
हारा ना कभी खुद से लेकिनतृष्णा के झगड़े से हारा,ये तृष्णा का सब ताम - झामतृष्णा ने ही हमको मारा,
अब तृष्णा से कृष्णा तक मन कोकविता से पहुंचता हूँ,शिक्षक दिवस के अवसर परमैं कविता तुम्हें सुनाता हूँ।
द्वारा- दिलीप मिश्रा मातपुरlekhaksandesh@gmail.com
दीपक हूँ,जलता रहता हूँशायद उजाला कभी मेरे तले भी हो,लेकिन यह मेरी केवल इच्छा हैऔर इच्छाएं ही आदमी कोभला या बुरा बनाती हैं ,इसलिए अब मुझे इच्छाओं से परेचलना चाहिए ,और जबतक दिए में तेल हैजलना चाहिए....अवसर है शिक्षक बनने काखुद में सुधार करने का औरआंगे बढ़ाने का,बढ़ने का,चलो अब इच्छाओं से परेकुछ करें और बेहतर करें💐💐💐तूफानों से डरना क्या ?बिन किये उजाला मरना क्या?दीपक हूँ जलता रहता हूँ...
द्वारा - दिलीप मिश्रा मातपुर
बबिता फोगाट ने ट्वीट किया था कि " तुम्हारी ज़िन्दगी में होने वाली हर चीज़ के जिम्मेदार तुम हो , इस बात को जितना जल्दी मान लोगे ज़िन्दगी उतनी ही बेहतर हो जायेगी । " मैंने इस ट्वीट को पढ़कर रातभर सोचता रहा और अंत में मुझे स्वीकार करना पड़ा खुद से की ये ट्वीट सत्य है और इस ट्वीट से मुझे काफी सीख मिली खैर बात हम आज की करते हैं -
वैसे तो प्रत्येक दिन अपने आप में महत्वपूर्ण होता है लेकिन इनमें भी कुछ दिन ऐसे होते हैं जो हमें खुद में सकारात्मक परिवर्तन हेतु अवसर देते हैं उन्हीं दिनों में से है आज का दिन अर्थात शिक्षक दिवस।
आज जब बच्चों ने बात की तो हृदय भर आया और परिवर्तन की नवलहर आई इस कोरोनाकाल में हम सबने कई उतार- चढ़ाव देखे ,पापी मन पता नहीं कहाँ -कहाँ भटका और मैं लड़खड़ाया लेकिन आज कई महीनों बाद ऐसा लगा की I have recovered and now I am a teacher…मुझसे कभी कोई भूल या गलती हुई हो तो खुले तौर पर अपने बच्चों एवं शिक्षक साथियों से क्षमा चाहता हूं , आप सब कामयाब हों ।आपसबका प्रेम सदैव बना रहे हृदय से धन्यवाद और एक बार पुनः अपने सभी शिक्षक साथियों को ,बच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएं🙏🙏🙏💐💐💐🎯🚨✈️
अंततः इतना ही कहूंगा आज जो कुछ भी हूँ प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से अपने सम्मानित शिक्षकों के कारण हूँ मैं उनके चरणों को स्पर्श कर प्रणाम करता हूँ बस हार कभी मत मानो, चलते रहो...🙏