दादा धूनी वाले की धरा में काम करता हूँ
सिंगाजी के विचारों को सबके नाम करता हूँ
ओमकार जी को ह्रदय से स्मरण करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
नर्मदा की धारा बहती कहती आज आप से
बच सको तो बचलो ढोंग और घोर पाप से
ढोंग पाप से बचा रहूं भजन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
माखन दा की कर्म भूमि है निमाड़ ये अपना
दादा रामनारायण का यहाँ सच हुआ सपना
सपूतों के चरण धूल का चन्दन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
दुनियां के लिए गानों की मिसाल दे गए
उनके गानों से मन को मैं मगन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
निमाड़ का गणगौर अपना स्वाभिमान है
सभ्यता संस्कारों की पहचान है
ये संस्कृति बनी रहे जतन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
दुनियां में कोई दूसरा हनुवंतिया नहीं है
पुनासा डेम भी नहीं है कालमुखी भी नहीं है
कपास मिर्ची मक्का खूब हो प्रयत्न करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
निमाड़ का एक ग्राम नाम कालमुखी है
जनता यहाँ की दूसरों के सुख से सुखी है
ये सुख सदा बना रहे हवन करता हूँ ,
मेरे लिए तो मातपुर माता की छाँव है
इस छाँव में ज्ञान का सृजन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
मतभेद होगा लेकिन मन भेद नहीं होगा
इस प्रेम के गढ़े में कोई छेंद नहीं होगा
नित प्रेम निकले ह्रदय में मंथन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
लालच में कभी झूंठ का तुम साथ न देना
इस प्रेम के गढ़े में कोई छेंद नहीं होगा
नित प्रेम निकले ह्रदय में मंथन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
लालच में कभी झूंठ का तुम साथ न देना
है सत्य अकेला तो उसे लूट न लेना
संकल्प लेलो सत्य का अनुशरण करता हूँ ,
सौभाग्य है मेरा की बना राष्ट्र निर्माता
सब पर कृपा करेगा वो भाग्य विधाता
मद लोभ काम क्रोध का दमन करता हूँ ,
निमाड़ की धरती तुझे नमन करता हूँ |
इंसान के हृदय में भगवान् बसता है
लेना है जिसे लेलो ये बहुत सस्ता है
द्वारा - दिलीप मिश्रा मातपुर
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