।।हिंदी दिवस पर हिंदी को समर्पित कविता।।
जबान- ए - हिंदी कहे
भारत की शान हूं मैं,
विहंग वृक्ष बात कर
इतनी आसान हूं मैं।
सिंधु,हिंदु,हिंदी
संस्कृत ने मुझको लाया,
भारत की जनता धन्य है
भाषा में राज पाया।
अहं तो है नहीं मुझे
जन मुग्ध मुझ पर गिरधर,
उत्थान या पतन हो
अनुज ये तुझ पर निर्भर।
धरा, गगन,पवन सुने
मेरी व्यथित कहानी,
सूखा गला हूँ व्याकुल
अंग्रेजी को मिले पानी।
क्षणभर जरा सोचो
सरिता बनके सोम घोलती हूं मैं,
मौखिक, लिखित, कहानी
कविता बनके मौन बोलती हूं मैं।
इतिहास के पन्ने खोलो तुम
वीरों ने दी कुर्बानी थी,
रुधिर से अपने अमर शहीदों ने
हिंदी में लिखी कहानी थी।
जो पतन हमारा अंग्रेजों ने किया,
वीरों ने किया उत्थान जतन होकर बलिदान,
हो प्रभु प्रचलन मेरा
सदा रहे यह तुमको ध्यान।
अंतिम क्षण है सोच लो
बिछड़ ना जाऊं कहीं,
हिंदी हूं कोई गैर नहीं
हिंद की पहचान हूं मैं।
जबान- ए - हिंदी कहे
भारत की शान हूं मैं।
द्वारा - दिलीप मिश्रा मातपुर
अध्यापक
शास. मॉडल उ.मा.स्कूल गुड़ी
lekhaksandesh@gmail.com
1 टिप्पणी:
VerV nice linili
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